Saturday, June 7, 2014

सौंफ, हरा धनिया,कढ़ी पत्ता , सेहत के लिए लाभदायक



By Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj

सौंफ प्रतिदिन घर में प्रयुक्त किए जाने वाले मसालों में से एक है। इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए लाभदायक है। प्रायः गर्मियों की सब्ज़ियों में इसका उपयोग किया जाता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी है |

* सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है त
था नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।
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* सौंफ का अर्क दस ग्राम शहद मिलाकर लें। खाँसी में तत्काल आराम मिलेगा।

* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है।

* यदि आपको पेटदर्द होता है, तो भुनी हुई सौंफ चबाइए, तुरंत आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

* हाथ-पाँव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

* सौंफ रक्त को साफ करने वाली एवं चर्मरोग नाशक है।

*मोटी सौंफ को भोजन के बाद प्रतिदिन चबाने से एसिडिटी की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है


हरा धनिया



 हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के
 
कुछ ऐसे ही औषधीय गुणों के बारे में...

- इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्...
दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सूखापन और एलर्जी से राहत देता है।

- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनिरल्स से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरे धनिया की चटनी बनाकर भी खाई जाती है , इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है।
 
डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।
कढ़ी पत्ता या मीठी नीम


 

कढ़ी पत्ता या मीठी नीम

अक्सर हम भोजन में से कढ़ी पत्ता निकाल कर अलग कर देते है | इससे हमें उसकी खुशबु तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता |कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है ,इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है | इसे हम मसालों में , भेल में भी डाल सकते है | इसकी छाल भी औषधि है | हमें अपने घरों मे...ं इसका पौधा लगाना चाहिए |


- कढ़ी पत्ता पाचन के लिए अच्छा होता है ,यह डायरिया , डिसेंट्री,पाइल्स , मन्दाग्नि में लाभकारी होता है | यह मृदु रेचक होता है |

- यह बालों के लिए बहुत उत्तम टॉनिक है , कढ़ी पत्ता बालों को सफ़ेद होने से और झड़ने से रोकता है |
- इसके पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से जुओं से छुटकारा मिलता है |

- कढ़ी पत्ता पेन्क्रीआज़ के बीटा सेल्स को एक्टिवेट कर मधुमेह को नियंत्रित करता है |

- हरे पत्ते होने से आयरन , जिंक ,कॉपर , केल्शियम ,विटामिन ए और बी , अमीनो एसिड ,फोलिक एसिड आदि तो इसमें होता ही है |


- इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो बुढापे को दूर रखते है और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देते .
- जले और कटे स्थान पर इसके पत्ते पीस कर लगाने से लाभ होता है .

- जहरीले कीड़े काटने पर इसके फलों के रस को निम्बू के रस के साथ मिलाकर लगाने से लाभ होता है |
- यह किडनी के लिए लाभकारी होता है |

- यह आँखों की बीमारियों में लाभकारी होता है इसमें मौजूद एंटी ओक्सीडेंट केटरेक्ट को शुरू होने से रोकते है ,यह नेत्र ज्योति को बढाता है .

- यह कोलेस्ट्रोल कम करता है |
- यह इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है |
 
- वजन कम करने के लिए रोजाना कुछ मीठी नीम की पत्तियाँ चबाये|

प्रतिदिन भोजन में कढ़ी पत्ते को दाल , सब्ज़ी में डालकर या चटनी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है , जिस प्रकार दक्षिण भारत में किया जाता है

गुलाब
 

 गुलाब की सुन्दरता के कारण से गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है | इसका मूल उत्पत्तिस्थान सीरिया है | लेकिन यह भारत में भी प्रायः सर्वत्र बग़ीचों तथा घरों में कलम बनाकर लगाया जाता है | इसके अतिरिक्त समस्त भारत में मुख्यतः उत्तर-प्रदेश , मध्य-प्रदेश तथा गुजरात में इसकी खेती की जाती है | देशी गुलाब लाल रंग का होता है , गुलाब द्वारा बने जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल | पुष्प के रंगों के आधार पर इसके कई प्रजातियां होती हैं |

गुलाबी... संग का गुलाब का फूल अधिक मात्रा में होता है तथा इसके अलावा गुलाब के फूल सफ़ेद और पीले रंग के भी होते हैं ,इसके फूलों का इत्र भी बनता है | गुलाब की प्रकृति ठंडी होती है |
आयुर्वेद में गुलाब के गुणों की चर्चा अधिक की जाती है क्योँकि इसके उपयोग से कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं |

१- यह वात -पित्त को नष्ट करता है,यह शरीर की जलन , अधिक प्यास तथा कब्ज़ को भी नष्ट करता है |
२- गुलाब में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है | गर्मी के मौसम में इसके फूलों को पीसकर शरबत में मिलाकर पीना बहुत लाभकारी होता है तथा इसको पीने से ह्रदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है |

३- अतिसार (दस्त ) होने पर १० ग्राम गुलाब के फूल की पत्ती को ०५ ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में ३ बार खाने से लाभ होता है |

४- दो चम्मच गुलकन्द रात को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन करने से कब्ज़ पूरी तरह से नष्ट हो जाती है | गुलकन्द से पेट की गर्मी भी शांत होती है |

५- गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ चबाकर खाने से मसूड़े और दांत मज़बूत होते हैं | इसके सेवन से मुंह की बदबू दूर होकर पायरिया की बीमारी ठीक हो जाती है |

६- गुलाब के फूलों का निकाला हुआ ताज़ा रस कानों में डालने से कान का दर्द ठीक होता है |

७- हैज़ा होने पर आधा कप गुलाबजल में एक निम्बू निचोड़कर उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें और ३-३ घंटे के अंतर पर इसे रोगी को पिलायें , इससे हैजे में लाभ होता है |

८- निम्बू का रस व गुलाब का रस बराबर मात्रा में लेकर मिला लें | इस रस को प्रतिदिन दाद पर लगाने से लाभ होता है |

 

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